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अनुप्रेक्षा और भावना
उपयोगिता है, उसे नकारा नहीं जा सकता, अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि हम सीधे वीतराग तो बन नहीं सकते । सीधे छलांग वाली बात कम घटित होती है । कोई व्यक्ति ऐसा हो सकता है कि सीधी छलांग लगा सकता है, पर सब छलांगे लगाने लग जाएंगे तो शायद हॉस्पीटल में स्थान भी खाली नहीं मिलेगा । छलांग की बात सार्वजनिक बात नहीं हो सकती । कदाचित् हो सकती है, अपवाद स्वरूप हो सकती है। सीधे वीतरागता की भूमिका में चले जाने की बात एक छलांग की बात है । हमें सीढ़ियों के सहारे चलना पड़ेगा। आदमी सीढ़ी के सहारे चढ़ेगा, ऊपर पहुंचेगा। सीढ़ियों में दोनों बातें होती हैं । एक ही सीढ़ी बनी हुई है। उससे ऊपर भी चढ़ा जा सकता है, नीचे भी आया जा सकता है। ऐसा नहीं होता कि ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां अलग बनती हैं। और नीचे आने के लिए सीढ़ियां अलग बनती हैं। उसी सीढ़ी से ऊपर चढ़ा जा सकता है और उसी सीढ़ी से नीचे आया जा सकता है । हमारी एक ही भावधारा है । उसी भावधारा से ऊपर चढ़ा जा सकता है और उसी भावधारा से नीचे उतरा जा सकता है। हमारी भावधारा जब सत् के साथ जुड़ती है तब हम ऊपर चढ़ सकते हैं, हमारा आरोहण हो सकता है। ज्यों ही भावधारा असत् के साथ जुड़ती है तब अवरोहण शुरू हो जाता है, आदमी नीचे उतर आता है । जप का विकास, मन्त्र का विकास, इसी भावना के आधार पर हुआ था कि एक ऐसा आलम्बन बना रहे जिससे बुरे भावों को आने का अवसर कम से कम मिले ।
भ्रांतियों का विघटन
मैं बहुत दिनों से सोचता था कि प्रेक्षा के पीछे 'अनु' का प्रयोग क्यों किया गया है ? इसे सोचते-सोचते जो एक बात सूझी वह यह है कि जो सचाई है, उसे देखना, उसका विमर्श करना अनुप्रेक्षा है । सचाई को देखो। उसे अपनी धारणा से मत देखो। मछली ने धारणा बना ली कि आदमी वह होता है जिसका सिर नीचे और पैर ऊपर होते हैं। इसी धारणा से वह आदमी को देखती थी । यह अनुप्रेक्षा नहीं है। अपनी धारणा से मत देखो । संस्कार की दृष्टि से मत देखो । काल्पनिक दृष्टि से मत देखो। केवल सचाई को देखो । वास्तविकता को देखो । यथार्थ को देखो। जो सत्य है, जो घटना घटित हो रही है, उसी को देखो। अनुप्रेक्षा का अर्थ है - सत्य के प्रति अनुप्रेक्षा अर्थात् यथार्थ के प्रति अनुप्रेक्षा, वस्तु के प्रति अनुप्रेक्षा । उधारी धारणा से काम मत लो, किन्तु जो घटना है, जो वास्तविकता है, सचाई है, उसी को देखो। यह सबसे बड़ी कठिनाई है कि मनुष्य सचाई को नहीं देखता । वह सबसे पहले अपनी धारणाओं का
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