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記
अनुभव का उत्पल
इस प्रकार
डोरी को इस प्रकार खींचो कि गांठ न पड़े। अपने को इस प्रकार चलाओ कि लड़ाई न हो। बालों को इस प्रकार संवारों कि उलझन न बने। विचारों को इस प्रकार ढालो कि भिड़न्त न हो।
तात्पर्य की भाषा में आक्षेप और आक्रमण की नीति मत बरतो । उससे गांठ घुलती है, युद्ध छिड़ते हैं, बाल उलझते हैं और चिनगारियां उछलती हैं।
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