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भोग और त्याग
भोग समाज की संघातक या संघटक - शक्ति है और त्याग विघातक या विघटक शक्ति ।
अनुभव का उत्पल
भोग समाज की अपेक्षा है और त्याग उसकी 'अति' का नियन्त्रण ।
भोग आत्मा का विकार है और त्याग आत्मा का
स्वरूप !
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