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(( अनुभव का उत्पल)
मर्यादा
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श्रद्धा के युग में प्रत्येक मर्यादा की सुरक्षा अपने आप में थी। युग काफी बदल चुका। तर्क के युग में वे सहज कार्यकर नहीं रहीं। जिस स्थिति को जब बदलना चाहिए, वह ठीक समय में बदल जाये तो परिणाम अच्छा आता है। उसे आगे सरकाने का यत्न होता है तो वह बदलती अवश्य है, किन्तु प्रतिक्रिया के साथ। कार्यकर मर्यादा वही है, जिसे पालने वालों की श्रद्धा प्राप्त हो।
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