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अनुभव का उत्पल
एक ही लौ
मनुष्य
शत्रु वह नहीं है, जो हमारे ही जैसा है। मनुष्य जैसा है ! मनुष्य मनुष्य का शत्रु नहीं हो सकता । दीप आलोक देता है, भले फिर वह पूरब का हो या पश्चिम का। आलोक आलोक का शत्रु नहीं है।
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