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記
अनुभव का उत्पल
सांचा
प्रशंसा की भट्टी में गलाकर तुम व्यक्ति को चाहो जैसे ढाल सकते हो, पर याद रखो - अभिमान पर चोट की तो वह अकड़ जायेगा। फिर वह टूट सकता है किन्तु ढल नहीं सकता ।
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