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( अनुभव का उत्पल
मंदिर के देवता
तुम भाग्य को कोसने में जितना समय लगाते हो उतना यदि भाग्य के निर्माण में लगाओ तो तुम मंदिर के देवता हो जाओगे और भाग्य तुम्हारा पुजारी।
खिड़कियां खोलो। सूर्य की रश्मियां तुम्हारे लिए प्रकाश का उपहार लिए खड़ी है। तुम्हारे भाग्य की लिपि में अंधकार का लेख नहीं है। खिड़कियों को बंद कर तुमने ही उसे पाला पोसा है।
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