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( अनुभव का उत्पल )
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उपासना का मर्म
सम्प्रदाय छोटा होता है और सत्य बड़ा। बड़े की उपासना करने वाला छोटे को स्वयं पा जाता है। छोटे की उपासना करने वाला बड़े से दूर रह जाता है।
सत्य का ठेका तुम्हारे पास भी नहीं है और मेरे पास भी नहीं है। तुम जो कहते हो, वही सत्य है और वह सत्य नहीं है, जो मैं कहता हूं। इसका तुम्हारे पास क्या प्रमाण है ?
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