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— अनुभव का उत्पल
( अनुभव का उत्पल
एक मन्त्र
संसार में सब एक रूप नहीं होते। कुछ लेने का होता है, कुछ छोड़ने का। जानने का सब होता है। जो छोड़ने का हो उसी को छोड़ा जाये, शेष को नहीं। जीवन की सफलता का यह एक मन्त्र है।
जहां लक्ष्य एक होता है वहां प्रेम और एकता होनी चाहिए, कदम एक साथ आगे बढ़ने चाहिए किन्तु ऐसा होता नहीं। सामने कोई कार्य नहीं होता तब तक एकता का विरोध या परिचय नहीं मिलता।
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