________________
( अनुभव का उत्पल)
आलोचना
आलोचना जहां लोचन है वहां निमेष भी है। आलोच्य के लिए वह लोचन है क्योंकि उसके द्वारा आत्मालोकन-विवेक चक्षु के उन्मेष का अवसर मिलता है। आलोचक के लिए आलोचना निमेष है, क्योंकि उसकी दृष्टि आलोचना में ही गड़ जाती है, फिर वह पारिपार्श्विक सत्य को भी नहीं निहार सकता।
(११०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
se Only
www.jainelibrary,
www.jainelibrary.org