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– अनुभव का उत्पन्न ।
- अनुभव का उत्पल
द्वैत
जहां द्वैत है वहां परस्पर सापेक्षता आवश्यक है।एक को समझने के लिए दूसरों को समझना ही होगा। जहां एक ही होता है, वहां समझने की स्थिति नहीं बनती। एक अनेक-सापेक्ष होता है और अनेक एक-सापेक्ष।
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