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________________ १६२ तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान लिखीं, जो जोड़ के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनके द्वारा रचित ७ जोड़ें हैं १. आचारांग की जोड़ २. भगवती की जोड़ ३. निशीथ की जोड़ ४. ज्ञाता की जोड़ ५. उत्तराध्ययन की जोड़ ६. अनुयोगद्वार की जोड़ ७. पन्नवणा की जोड़। इनमें सबसे बड़ी जोड़ है भगवती सूत्र की । भगवती सूत्र आगम ग्रंथों में सबसे बड़ा मागम है । उसका आकार सोलह हजार श्लोक परिमाण है। इस पर लिखी गयी अभयदेवसूरिकृत संस्कृत टीका १८ हजार श्लोक परिमाण है। जयाचार्य द्वारा अनूदित भगवती की जोड़ का श्लोक परिमाण है ६० हजार । वर्ण्यविषय, तत्त्वनिरूपण आदि की दृष्टि से इतना बड़ा ग्रन्थ सम्भवतः राजस्थानी भाषा का दूसरा नहीं है। तत्त्वविद्या की गहन गुत्थियों को सुलझाने वाला यह ग्रंथ संगीत के स्वरों में गुम्फित है। इसमें दोहों, सोरठों के छन्दों के अतिरिक्त ५०० गीतिकाएं हैं । वे विभिन्न लोकगीतों और रागनियों में गाई जाती हैं । जयाचार्य संगीत प्रिय थे इसलिए उन्होंने अपनी पद्य रचनाओं में संगीत को प्राथमिकता दी। इस अलौकिक कृति की रचना का प्रारम्भ वि० सं० १९१९ आसोज कृष्णा ९ गुरुवार से होता है। पाँच वर्षों की अवधि में इतने बड़े ग्रन्थ को रच देना उनकी विलक्षण मेधा का परिचायक है। __अनुवाद का अर्थ होता है----भाषांतर अथवा एक भाषा के साहित्य को दुसरी भाषा में उपलब्ध करवाना । अनुवाद की कुछ कसौटियाँ हैं १. अनूदित साहित्य में मूल लेखक की भावना यथावत रहे । २. मूल साहित्य के रस को बरकरार रखा जाए। ३. मूल साहित्य के किसी अंश या परिच्छेद को छोड़ा न जाए। ४. भाषा सुबोध, प्रवाहपूर्ण एवं लालित्यपूर्ण हो। ५. जिस भाषा में अनुवाद किया जाए उस भाषा पर पूर्ण अधिकार __ हो। ६. जिस भाषा में अनुवाद किया जाए उस भाषा-भाषी व्यक्तियों की _पसन्द को ध्यान में रखा जाए। ७. मूल साहित्य को मुख्य और अन्तविषय सब अनुवाद में समाविष्ट हो। ८. रचना एवं रचनाकार के प्रति अनौपचारिक समर्पण भाव हो आदि आदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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