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ग्यारह
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६६. अन्तर्मुखी बनें ६७. ऋषिप्रधान देश ६८. क्षमा भावना का व्यापक फैलाव हो ६९. आत्मालोचन का दिन ७०. अपेक्षित है संस्कृत का विकास ७१. श्रमिक गरीब क्यों ? ७२. क्या है शिक्षा का लक्ष्य ? ७३. अणुव्रत की कार्यदिशा ७४. व्रत का मूल्य ७५. दीक्षा संस्कार ७६. नारी-जागृति का महत्त्व ७७. दीपावली का संदेश ७८. मैं सौभाग्यशाली हूं ७९. कल्याण का मार्ग ८०. धर्म दैनंदिन जीवन से जुड़े ८१. धर्म की सही समझ जागे ८२. अध्यात्म का अंकुश अपेक्षित ८३. शिक्षा का प्रयोजन ८४. साहित्य और साहित्यकार ८५. व्रत का माहात्म्य ८६. जीवन संयममय बने ८७. धर्म को सही समझ, सही जीएं ८८. जरूरी है ज्ञान और आचार का समन्वय ८९. दर्शन और संस्कृति ९०. विद्यार्जन का उद्देश्य ९१. शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य ९२. व्रत : भारतीय संस्कृति का प्राण-तत्त्व ९३. धर्म का यथार्थ स्वरूप प्रकट हो ९४. सबसे पहली अपेक्षा ९५. मानव मानव बने ९६. संयममय जीवन हो ९७. बन्दीगृह सुधारगृह बनें
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