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केतने पुण्यवान् हैंकि जिनके गर्भ में आनेके समय माताको ऐसे मङ्गलमय सुमनोंको दर्शन हुवा । इतने पुण्यशाली होकरभी संसारके सुखोंको तणावत् त्याग किया। और हम एक साधारणस्थितिवालेभा मोहपाशसे बद्ध हो रहेहैं यह हमारी कितनी गफलत है इत्यादि अनेक तरह की भावनाका तथा भक्तिमार्गका पोपक यह रूढ़ि रिवान है इसलिये किसी तरह पापका पोषक नहीं हो सकता परन्तु नास्तिकजनोंके लिये ऐसाही हो, यह मैं प्रथम लिखही चुका हूं । जैसे एक बिल्लीको आदर्शभवनमें रखदो तो वह जिस तरफ देखे उस तरफ उसे बिल्लीएही विल्लीएं मालूम होतीहैं, उसी तरह दुर्भाग्यवशसे बेचरदासको पापबंधनका कारण हुआ होगा और उससे उसने जान लिया होगाकि-सबके लिये ऐसाही होता होगा । परन्तु ऐसा कदापि नहीं हो सकता।
चरदास-" उपधान नामर्नु तप करती वखते माला पहेरवी पडे छ, हवे आ माला माटे दशके पंदरा रूपैया आपवा पडे छे, अफसोसनी बात ए छे के आ मालानी तेटली किम्मत होती नथी, तेम शास्त्रमा आवो आचार पण कोई रस्ते उपदेशायो नथी, छतां मारी मातुश्रीए ज्यारे उपधान भावनगरमा कर्यु हतुं त्यारे शास्त्रविरुद्धनी आ रूदिने देवू करीने पण पालवानी केटलाकोए फरज गाड़ी हती ". इत्यादि.
समालोचक-उपधानकी क्रिया मालारोपणके समय जो
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