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संपादकीय
• जीवन और समस्या का संबध
एक शाश्वत सा अनुबंध यह संभव नहीं कि जीवन हो और समस्या न हो यह भी संभव नहीं समस्या हो और समाधान न हो कोई भी जीवन समस्या विहीन नहीं है और समस्या समाधान विहीन नहीं है । व्यक्ति सोचता हैसमस्याएं बहुत हैं पर समाधान कहां है ? प्रभावी हैं परिस्थितियां, उपादान कहां है ? महाप्रज्ञ कहते हैंसमस्या का समाधान करता है जो संधान न अटकता है, न उलझता है फूलों में, पत्तों में पहुंचता है गहरे समस्या की जड़ों में देखता है स्रोत मिलता है उसे अभिनव उद्योत । समस्या यही हैनहीं जानते देखना तह तक पहुंचना यदि पहुंचा जाए अतल तल में निधान से भरे भूतल में होगी विस्फारित दृष्टि देख अभिनव सृष्टि ।
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