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________________ एकता के प्रयत्न प्राणीमात्र की एकता का लघु संस्करण है मानवीय एकता । मानवीय एकता का लघुतर संस्करण है राष्ट्रीय एकता । राष्ट्रीय एकता का लघुतम संस्करण है सामाजिक एकता । प्राणीमात्र की एकता पर्यावरण की सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण सूत्र है । मानवीय एकता शन्तिपूर्ण सहअस्तित्व का मौलिक सूत्र है। राष्ट्रीय एकता विकास का उपादान सूत्र है । सामाजिक एकता सद्भावना का आधारसूत्र है । पूज्य गुरुदेवश्री तुलसी ने इन चारों स्तरों पर काम किया है। उनका मत है- व्यापक हित को ध्यान में रखे बिना सीमित हित को भी साधा नहीं जा सकता। समस्या पर्यावरण की पर्यावरण की समस्या जागतिक समस्या है । इस समस्या के समाधान का रचनात्मक पहलू माना जाता है पर्यावरण प्रदूषण को मिटाने के साधनों का विकास किन्तु इसका नकारात्मक पहलू अधिक मूल्यवान् है । अनावश्यक हिंसा, जंगलों की कटाई, पानी का अपव्यय, भूमि का अतिरिक्त दोहन-ये सब चले और प्रदूषण को मिटाने के लिए कुछ विकल्प खोजे जाएं । इन दोनों में संगति नहीं है । तथ्य को ध्यान में रखकर अनावश्यक हिंसा के दर्जन पर बल दिया गया । मानवीय एकता : बाधक तत्व __ मानवीय एकता का बाधक तत्व है राष्ट्रवाद, अथवा राष्ट्रीय कट्टरता । अपने राष्ट्र की समृद्धि के लिए दूसरे राष्ट्र के हितों को कुचलना- यह कूटनीति का चातुर्यपूर्ण जाल है । इस जाल को फैलाने में अनेक राष्ट्र लगे हुए हैं । अणुव्रत ने राष्ट्रवाद की सीमा को लांघकर मानवीय एकता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया । राष्ट्रीय एकता का प्राणतत्व राष्ट्रीय एकता कोई राजनीति अथवा चुनावी घोषणा पत्र नहीं है । भाषा, प्रान्त, जाति और सम्प्रदाय की भेदधारा में सांस्कृतिक अभेद-स्थापना ही राष्ट्रीय एकता का प्राणतत्व है । गुरुदेव ने आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों का उन्नयन कर राष्ट्रीय एकता की आधारभित्ति को परिपुष्ट किया है । वास्तव में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003134
Book TitleSamasya ko Dekhna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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