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________________ ४० समस्या को देखना सीखें ही है। नतंत्र के विकास के लिए एशिया अत्यन्त उर्वर है। फिर भी सामयिक स्थितियों का विश्लेषण करते समय उसमें जनतंत्र के पल्लवन की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। इस संदेह की पृष्ठभूमि में तीन तत्त्व छिपे हैं : १. प्रभुत्व-विस्तार की भावना २. गुटबन्दी ३. साम्प्रदायिक पक्षपात जो बड़े राष्ट्र हैं, आर्थिक राजनीतिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों से सम्पन्न हैं; वे अपने प्रभुत्त्व का विस्तार चाहते हैं | इस आकांक्षा के आधार पर दो गुट बन गए हैं : १. साम्यवादी २. असाम्यवादी एशिया में दोनों प्रकार के राष्ट्र हैं और तीसरे प्रकार के भी हैं : जो किसी गुट में नहीं हैं, तटस्थ हैं । हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा जनतंत्र होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा तटस्थ राष्ट्र है । दो गुटों के बीच में शक्तिशाली तटस्थ राष्ट्रों का अस्तित्व सेतु का काम करता है किन्तु राजनीति में सेतु की अपेक्षा अपने स्वार्थों की पूर्ति का महत्त्व कहीं अधिक है। राजनीति की आत्मा अमरीका जनतंत्र की सुरक्षा या साम्यवाद के विस्तार को रोकने के लिए हर संभव प्रयल कर रहा है । क्या इस तथाकथित प्रचार में सचाई है ? पाकिस्तानी अमरीकी गुट में हैं । सही अर्थ में वह जनतंत्री भी नहीं, साम्यवादी भी नहीं है किन्तु अधिनायकतावादी है । उसने महान् लोकतंत्र को क्षत-विक्षत करने का शक्तिशाली प्रयत्न किया और उस अमरीका के शक्ति-संरक्षण में किया, जो जनतंत्र के विस्तार में सबसे अगुआ है । यह विरोधाभास कितना आश्चर्यकारी है कि एक ओर जनतंत्र के विस्तार की अदम्य उत्कण्ठा और दूसरी ओर एक महान् जनतंत्र के विकसमान पौधे पर कुठाराघात ? इस बिन्दु पर पहुंचकर हम राजनीति की आत्मा को देख पाते हैं कि उसका गठबंधन सिद्धांत के साथ उतना नहीं होता, जितना स्वार्थ-पूर्ति के साथ होता है । स्वार्थ और सांप्रदायिकता कुछ राष्ट्रों का आदर्श साम्प्रदायिकता है तो कुछ राष्ट्रों का सम्प्रदाय-निरपेक्षता । एशिया में दोनों प्रकार के राष्ट्र हैं । हिन्दूस्तान सम्प्रदाय निरपेक्ष राष्ट्र है | पाकिस्तान का आधार साम्प्रदायिकता है । साम्प्रदायिक राष्ट्र साम्प्रदायिकता के आधार पर दूसरे राष्ट्रों से समर्थन पाते और देते हैं । स्वार्थ-पूर्ति और साम्प्रदायिकता के आधार पर किया जाने वाला पक्षपात जनतंत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003134
Book TitleSamasya ko Dekhna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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