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इस दुनिया में सुख और दुःख का चक्र चलता रहता है। संभवतः आदमी सुख कम भोगता है, दुःख अधिक। इसलिए भोगता है कि वह समस्या को देखना नहीं जानतादि समस्या को देखना सीख जाए तो वह -सामने न रहे, पलायन कर जाए। मनुष्य देखना नहीं
जानता, इसलिए समस्या आसन बिछा कर बैठ जाती, है। तीसरा नेत्र जागृत हो, दुःख अपने आप कम होगा। दुःख को कम करने का महामंत्र है समस्या को देखना।
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