________________
प्रवचन १३ |
संकलिका
• विश्व में सब कुछ यौगिक, शुद्ध कुछ भी नहीं ।
• ज्ञान अनन्त, भाषा सान्त, अनुभव अनन्त ।
• रूपी सत्ता, अरूपी सत्ता ।
• सूक्ष्म रचना -- चतुःस्पर्शी पुद्गलों की संरचना |
स्थूल रचना - अष्टस्पर्शी पुद्गलों की संरचना |
• कोशिका की रचना अत्यन्त सूक्ष्म, जटिल और आश्चर्यजनक ।
• कर्म - शरीर की कोशिकाएं - एक वर्ग इंच में अरबों-खरबों ।
ज्ञान की क्षमता का होना एक बात है। ज्ञान की अभिव्यक्ति को फैलना दूसरी बात है |
स्थूल शरीर की क्रियाओं का ज्ञान-विज्ञान का क्षेत्र - वे क्रियाए क्योंविज्ञान के पास कोई उत्तर नहीं ।
• स्थूल शरीर और कर्म - शरीर का सेतु है - तेजस शरीर ।
भाषा अचेतन, भाषायोग चेतन ।
मन अचेतन, मनोयोग चेतन । काया अचेतन, कायायोग चेतन ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org