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आशीर्वचन
प्रस्तुत पुस्तक में प्रकीर्ण लेखों का संग्रह है। समय-समय पर विभिन्न विषयों पर लिखे गए लेख विषय की विविधता से जुड़े हुए हैं, यह स्वाभाविक है। समणी मंगलप्रज्ञा ने दर्शन के क्षेत्र में कुछ विशेषताएं अर्जित की हैं, इसलिए प्रस्तुत पुस्तक को दर्शन की पुस्तक कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। दर्शन के साथ क्रिया योग आदि विषय संलग्न हैं। योग का संबंध अध्यात्म से है। अध्यात्म का भी अपना दर्शन है। दर्शन को संकुचित परिभाषा में बांधना उचित नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक दर्शन के विद्यार्थी तथा दर्शन के जिज्ञासु के लिए उपयोगी होगी। कर्णपुरा (राजस्थान)
आचार्य महाप्रज्ञ ३ जनवरी २०००
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