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संपादकीय • विचार
आचार का आधार उससे संचालित है व्यवहार व्यक्तित्व का दर्पण मनस्विता का लक्षण वर्तमान का उच्छ्वास भविष्य का विश्वास वह स्मृति नहीं है कल्पना भी नहीं है। किन्तु है स्मृति और कल्पना से उपजा एक नया संसार महाप्रज्ञ के शब्दों में भाव और मन की साझा सरकार। प्रश्न है-क्यों बदले विचार ? जिसका कार्य है सतत संचार पवित्रता या अपवित्रता मात्र भावों का उपहार महाप्रज्ञ कहते हैंविचार को बदलें इसका तात्पर्य है भावों को बदलें यदि हो जाए भावों की शुद्धि घटित होगी विचार और आचार की शुद्धि चर्या और व्यवहार की शुद्धि अर्थ और आहार की शुद्धि बन जायेगा जीवन पवित्र चैतन्य, जैसे निर्मल इत्र।
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