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उन विचारों को रोकना है। वे ही विचार आएं, जो आवश्यक हैं और हमारे विकास में सहयोगी बन सकें। अनावश्यक विचार मानसिक तनाव पैदा करते हैं, मस्तिष्क को बोझिल बनाते हैं, नींद में बाधा डालते हैं और नींद की गोलियां खाने को विवश करते हैं। बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिनके सो जाने पर भी विचारों का चक्का रुकता नहीं, चलता रहता है। या तो विचार चलेगा या नींद आएगी। दोनों एक साथ नहीं चल सकते। दोनों का छत्तीसी संबंध है।
पदार्थ और विचार ध्यान का प्रयोजन विचार के विकास को रोकना नहीं है, किन्तु विचार का
और अधिक विकास करना है। अनावश्यक विचार आएंगे तो विचार की शक्ति कमजोर पड़ जाएगी, सोचने और चिंतन करने की क्षमता कम हो जाएगी। आवश्यक विचार करेंगे तो हमारी यह क्षमता और अधिक बढ़ जाएगी। विचार के क्षेत्र में अनेक समस्याएं हैं। एक समस्या है पदार्थ। पदार्थ और विचार का बहुत गहरा संबंध है। हमारे विचारों का विकास पदार्थ के साथ हुआ है। पदार्थ सामने आते हैं, विचार पैदा होते हैं। पदार्थ की स्मृति आती है तो विचार का सिलसिला शुरू हो जाता है। पदार्थ के साथ व्यक्ति के स्वार्थ भी जुड़े हुए हैं, भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं और वे भावनाएं अलग-अलग ढंग से व्यक्ति को सोचने के लिए विवश करती हैं।
समस्या पिता की एक आदमी ने अपने दो बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई। एक दिन वह चिंता की अवस्था में बैठा था। एक मित्र ने पूछा-'तुम आज इतने चिंतित क्यों हो ? वह बोला-'मुझे एक उलझन हो गयी है।' मित्र ने पूछा-'उलझन किस बात की ? क्या नौकरी से संबंधित कोई विवाद खड़ा हो गया ? दोनों लड़कों ने कोई समस्या खड़ी कर दी ? या स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है ? उसने कहा- 'ऐसा कुछ भी नहीं है। दो लड़कों में से एक को डॉक्टर बना दिया। दूसरे को वकील। दोनों का अच्छा काम चल रहा है। मित्र ने पूछा फिर समस्या क्या है ? उसने कहा-समस्या यह है-कुछ दिन पहले एक मोटर दुर्घटना में मेरे पैर में थोड़ी-सी चोट आ गयी। डॉक्टर
१६ / विचार को बदलना सीखें
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