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मूल्य-मीमांसा का आधार
जब तक हम चेतना के स्तर पर मानदण्ड नहीं बनाएंगे, हमारी मूल्य की सारी कसौटियां गलत हो जाएंगी । मूल्य का प्रश्न आज महत्त्वपूर्ण बन रहा है किन्तु जब तक चेतना को सामने रखकर हम मूल्य का निर्धारण नहीं करेंगे, केवल पदार्थ के आधार पर मूल्य की मीमांसा करेंगे तो हमारा सारा मूल्यशास्त्र गलत साबित होगा ।
ध्यान का अर्थ है - जीवन की नई व्याख्या करना । हमें जीवन की नयी व्याख्या करनी होगी, मूल्यों की नयी व्याख्या करनी होगी । उसका सूत्र यह है - जहां आर्थिक विकास, पदार्थ का विकास, भौतिक विकास हो रहा है, वहां उसके साथ-साथ हमारी चेतना का भी विकास हो । जब चेतना का विकास होगा तब जाति, रंग और अर्थ के आधार पर आदमी आदमी से घृणा नहीं करेगा। यह दृष्टिकोण विकसित होगा, तो पदार्थ के अभाव में भी मानव समाज को विकसित कहा जा सकेगा ।
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जीवन की नई व्याख्या / ११
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