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________________ धड़कन बंद हो गई सौराष्ट्र की घटना है। किसी गरीब आदमी ने लॉटरी के टिकट खरीदे। सौभाग्य से उसकी लॉटरी भी निकल आई। अधिकारियों ने सोचा-मजदूर आदमी है। पांच करोड़ की लॉटरी निकली है। इतना बड़ा पुरस्कार सुनकर ही कहीं उसकी हृदय-गति न रुक जाए, इसलिए उन्होंने एक डॉक्टर को इस काम का दायित्व सौंपा कि वह मनोवैज्ञानिक ढंग से यह सूचना उस गरीब आदमी को दे। वह डॉक्टर उस गरीब मजदूर की झोंपड़ी के पास पहुंचा और उसके आसपास चक्कर लगाने लगा। गरीब मजदूर ने उससे पूछा-'आप यहां कैसे ? डॉक्टर ने कहा- 'तुम लोगों की गरीबी देख रहा हूं। इतनी तंगी में गुजारा कैसे करते हो ? उसने कहा- 'बस, ऐसे ही किसी तरह जिन्दगी बसर कर लेते हैं।' डॉक्टर ने मनोवैज्ञानिक ढंग से बात करते हुए कहा- 'पैसे के अभाव में इतना कष्ट झेल रहे हो ? अगर पैसा हो जाए तो पहला काम क्या करोगे ? उस मजदूर ने कहा-'करेंगे क्या साहब ! यह झोंपड़ी ठीक करवा लेंगे। राशन-पानी खरीद लेंगे। डॉक्टर ने कहा- 'यदि आज तुम्हें दस हजार रुपये मिल जाएं तो क्या करोगे ? मजदूर डॉक्टर के साथ इस मजाक में शामिल हो गया। उसने कहा-'इतने मिल जाएं तो निश्चित रूप से आधा आपको दे दूंगा।' डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए फिर पूछा- 'अगर बीस लाख मिल जाएं तो ? मजदूर ने भी उसी हास्य से कहा-'फिर दस मेरा, दस आपका।' डॉक्टर का प्रस्ताव आगे से आगे बढ़ता गया और अन्ततः पूछ ही लिया- 'अगर पांच करोड़ मिल जाएं तो ? मजदूर ने उसी तरह कहा- 'मैं कह चुका हूं कि आधा आपका, आधा मेरा, पर ऐसा मजाक आप मुझसे क्यों कर रहे हैं ? मैंने जो कह दिया, उसे अन्तिम मानें। मैं अपनी बात से कभी मुकरता नहीं हूं।' उसने कहा-'तुम्हारी पांच करोड़ की लॉटरी उठी है।' मजदूर ने कहा-'ढाई करोड़ आपके हैं।' डॉक्टर ने चौंककर कहा- 'ढाई... ?"?..? और इतना कहकर वह गिर पड़ा। उसके दिल की धड़कन बन्द हो चुकी थी। गया था समझाने के लिए और स्वयं ही समझ गया। दो प्रणालियां अग्नि का कुण्ड भीतर है। जब तक वह बुझता नहीं है, शांत नहीं होता है, १४२ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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