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________________ स्वास्थ्य : अध्यात्म और विज्ञान के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ इस वर्ष को ‘सहिष्णुता वर्ष' के रूप में मना रहा है। पूरे विश्व को सहिष्णुता की जरूरत है। प्रश्न है-असहिष्णुता पैदा क्यों होती है ? हिंसा क्यों पैदा होती है ? अपराध क्यों बढ़ते हैं ? बहुत पहले सामान्यतः यह माना जाता रहा कि परिस्थिति और वातावरण इसके लिए उत्तरदायी हैं, किन्तु अब भीतर की ओर ध्यान गया है। अगर हम प्राचीन अध्यात्म के आचार्यों की बात छोड़ दें तो वर्तमान युग में जो मनोविज्ञान के आचार्य हुए हैं, उन्होंने भीतर जाने की दिशा सोची और उससे एक नया आयाम खुला। वह आयाम यह है कि केवल बाहर की ओर न देखें, भीतर की ओर भी देखें, भीतर की भी खोज करें। यह बाहर की खोज और भीतर की खोज का जो योग है, वास्तव में वही हमारी समस्या का समाधान है। केवल • बाहर की ओर ही उलझे रहे तो समस्या का समाधान नहीं होगा। अहम प्रश्न आईंस्टीन से अंतिम समय में पूछा गया- 'अगले जन्म में आप क्या करना चाहेंगे ? उन्होंने उत्तर दिया-इस जन्म में मैंने ज्ञेय को खोजा, मेरा सारा विषय आब्जेक्ट रहा। अब मैं चाहता हूं कि अगले जन्म में मैं ज्ञाता को जानने का प्रयत्न करूं। आत्मा को जानें, चैतन्य को जानूं, चैतन्य के रहस्यों को जानूं-यह मेरी अगले जन्म की इच्छा है।' बहुत आवश्यक है यह, क्योंकि हम व्यक्ति का जीवन जी रहे हैं और साथ-साथ सामाजिक जीवन भी जी रहे हैं। जब तक समाज स्वस्थ नहीं होगा, समस्याएं पैदा होती रहेंगी। चाहे वे धर्मगुरु हों, राजनेता हों, चिकित्सा-विज्ञानी हों, शिक्षक हों-सबके सामने यह एक अहम प्रश्न है और इसके समाधान में सबका समन्वित योग होना चाहिए। १२४ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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