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________________ बौदह m W SO m m ar mr NU NOW २९. नव-निर्माण का शुभ संकल्प संजोएं ३०. बुराइयों का मूल ३१. धर्म का आधार ३२. समस्या का हल ३३. ज्ञान और श्रद्धा का योग हो ३४. चितन का आकाश ३५, बंधन और मोक्ष ३६. शिक्षा क्यों ? ३७. मिथ्या दृष्टिकोण : सबसे बड़ा पाप ३८. शान्ति की खोज ३९. इन खाइयों को पाटा जाए ४०. मैत्री : विश्व-शांति का आधार ४१. दुर्व्यसनों और कुरूढियों की मार ४२. सुख का उत्स ४३. साधना-पथ ४४. धर्म का शुद्ध स्वरूप ४५. मानव की घोर पराजय ४६. खमतखामणा ४७. सुख और शान्ति का आधार ४८. संकल्प का चमत्कार ४९. समाज-कल्याण की प्रक्रिया ५०. सुख का मार्ग ५१. सुख-दुःख का आधार ५२. तवेसु वा उत्तम बंभचेरम् ५३. कौन होता है गरीब ? ५४. ब्रह्मचर्य ५५. सत्य की शाश्वत साधना ५६. मनुष्य मनुष्य का शत्रु नहीं होता ५७. बचपन को संवारें ५८. विद्यार्थी : चारित्रिक क्रांति का अग्रदूत ५९. थोड़ा गहराई से सोचें ६०. मानव स्वयं अपना भाग्य-निर्माता है ६१. मानवता मुसकाए १०४ १०८ ११२ १२९ १३४ १५२ १५७ १५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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