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२६० अप्पाणं सरणं गच्छामि
विरोधी नहीं हैं, किन्तु वास्तविक हैं, सापेक्ष हैं। क्या जीविका एक समस्या नहीं है? क्या उससे तनाव पैदा नहीं होता? एक आदमी नौकरी पर है। सुख से जीवनयापन कर रहा है। अचानक उसकी नौकरी छूट जाती है। क्या वह तनाव से ग्रस्त नहीं होगा? अवश्य ही वह तनाव से भर जाएगा। उसका सारा सुख एक सपना बन जाएगा। वह घटना उसके मनोबल को मिटाने के लिए पर्याप्त है। वह व्यक्ति चिन्ता, विषाद और पीड़ा से आक्रान्त हो जाएगा। कल क्या होगा? बच्चे कैसे पढ़ेंगे? किराया कैसे देंगे? आदि-आदि चिन्ताओं से वह ग्रस्त हो जाएगा। क्या अर्थ का अभाव तनाव पैदा नहीं करता? क्या परिस्थिति तनाव पैदा नहीं करती? जाने-अनजाने, चाहे-अनचाहे एक प्रकार की परिस्थिति निर्मित होती है और व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है। परिस्थिति व्यक्ति को बहुत प्रभावित करती है।
एक व्यक्ति रेल में यात्रा कर रहा था। अचानक चार-पांच आदमी आए और बोले-देखो, यह चाकू है। जो कुछ तुम्हारे पास धन है वह दे दो, अन्यथा चाकू की तेज धार तुम्हारी छाती के आर-पार पहुंच जाएगी। अनचाहे एक परिस्थिति पैदा हो गई। अब वह क्या करे? एक ओर धन का मोह है, दूसरी
ओर प्राणों का मोह है। दोनों ओर मोह है। आदमी परिस्थिति में उलझ जाता है।
परिस्थिति कुछ भी नहीं है, यह नहीं कहा जा सकता। परिस्थिति का प्रभाव क्या होता है, वह उस व्यक्ति से पूछो जो उसका सामना कर रहा है, जो उसमें उलझा हुआ है। परिस्थिति कुछ भी नहीं है, यह वही व्यक्ति कह सकता है जिसने परिस्थिति को भोगा नहीं है। जिसने परिस्थिति को भोगा है, सामना किया है, देखा है, वह परिस्थिति का मूल्य जानता है। परिस्थिति के कारण व्यक्ति क्या होता है और क्या बन जाता है। उसका सारा व्यक्तित्व ही बदल जाता है। परिस्थिति का अपना मूल्य है। यह एक सचाई है।
शरीर का तनाव भी एक सचाई है। जब शरीर में कोई तनाव पैदा होता है तब वह भाग अकड़ जाता है। उसमें ऐंठन पैदा हो जाती है। वह पीड़ा और दर्द करने लगता है। रसायन और विद्युत्प्रवाह
शरीर में दो तत्त्व अधिक सक्रिय रहते हैं। एक है रसायन और दूसरा है विद्युत् । शरीर का अपना फिजिक्स है, उसका अपना तन्त्र है। विद्युत् का अपना कार्य है। दोनों कार्य करते हैं। शरीर के रसायन ठीक होते हैं तो शरीर स्वस्थ ढंग से काम करता है और यदि ये रसायन बिगड़ जाते हैं तो शरीर अस्वस्थ बन जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि जब सोते हैं तब शरीर स्वस्थ-सा प्रतीत होता है, उठते हैं तब निष्प्राण और शिथिल-सा लगता है। कुछ लोग कहते हैं
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