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४ अप्पाणं सरणं गच्छामि
ही सब कुछ मान लेता है। यह बहुत बड़ी नास्तिकता है। घटना, परिस्थिति
और वातावरण, ये सब अपना-अपना काम करते हैं, करेंगे और करते ही रहेंगे। परिस्थितियां उतार-चढ़ाव की होंगी, ऊबड़-खाबड़ होंगी। सारी दुनिया ऊबड़-खाबड़ है। समतल कहीं नहीं है। कहीं पहाड़ हैं, कहीं गड्ढे हैं और कहीं उतार-चढ़ाव है। ये होंगे। इन्हें मिटाया नहीं जा सकता। परिस्थितियां कभी एक-सी नहीं रहतीं। सर्दी के बाद गर्मी आती है और गर्मी के बाद बरसात। आप न सर्दी को रोक सकते हैं और न गर्मी को। सदा गर्मी ही रहे, ऐसा कभी नहीं हो सकता। सदा सर्दी ही रहे, ऐसा भी कभी नहीं हो सकता। ऋतुओं का चक्र निरंतर चलता रहता है। कोई ऐसा शक्तिमान नहीं है कि वह बर्फ गिरने को रोक सके, बर्फीली हवाओं को रोक सके या तूफानों को रोक सके। पर आदमी बुद्धिमान प्राणी है। वह कपड़ा बनाना जानता है। वह मकान बनाना जानता है। सर्दी आती है, तब वह गर्म कपड़े पहन लेता है और मकान के भीतर चला जाता है। वह सर्दी के प्रकोप से बच जाता है।
एक राजा के पैर में कांटा चुभ गया। बहुत पीड़ा का अनुभव हुआ। राजा ने सोचा-लोग चलते हैं। उनके पैरों में भी कांटे चुभते होंगे। कितना कष्ट होता होगा। अच्छा हो कि सारी जमीन को चमड़े से मढ़ा लूं। किसी के पैर में कांटा नहीं चुभेगा। राजा ने मंत्री को बुलाकर आदेश दिया कि राज्य की समूची भूमि को चमड़े से मढ़ दें। मंत्री ने कहा-राजन् ! यह असंभव बात है। ऐसा कभी हो नहीं सकेगा। यदि हम सारी पृथ्वी पर चमड़ा मढ़ा देंगे तो फिर खेती कहां होगी? पेड़ कहां होंगे? वनस्पति कहां होगी? हमारा जीवन कैसे चलेगा? आप ऐसी अतिकल्पना न करें और भूमि को चमड़े से मढ़ी देखने का स्वप्न न लें। प्रत्येक व्यक्ति अपने पैरों में जूता पहन ले, ऐसी व्यवस्था हम करें। अपने आप सारी भूमि चमड़े से मढ़ी हो जाएगी।
आदमी ने जूता पहनना शुरू किया। कांटे चुभने बंद हो गए।
हम परिस्थितियों को रोक नहीं सकते। प्राकृतिक घटनाओं से आने वाले सुख और दुःख के निमित्तों को रोक नहीं सकते। किन्तु जिसके द्वारा हमे सुख
और दुःख का संवेदन होता है उस पर हम नियंत्रण कर सकते हैं। साधना की समग्र पद्धति नियंत्रण या संयम की पद्धति है। 'नियंत्रण' शब्द से आप चौंकें नहीं। इसे अप्रिय न मानें। समूची प्रकृति में पग-पग पर हम नियंत्रण देखते हैं। बिना नियंत्रण के कोई काम चल ही नहीं सकता। नियंत्रण दमन नहीं है। वह जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है। इससे उदासीन नहीं हुआ जा सकता। एक को बन्द करना पड़ेगा और एक को खोलना पड़ेगा। क्या दरवाजा बन्द करना नियंत्रण नहीं है? क्या मकान बनाना नियंत्रण नहीं है? दरवाजा बन्द करना, मकान बनाना, कपड़े पहनना-ये सब क्रियाएं नियंत्रण हैं। नियंत्रण
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