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११. समाधि : मानसिक समस्या
का स्थायी समाधान
मानसिक समस्याओं को सुलझाने के लिए मनुष्य ने हजारों-हजारों प्रयत्न किए हैं और आज भी वह प्रयत्नशील है। आज का युग ही मानसिक समस्याओं से आक्रान्त है, अतीत का युग इन समस्याओं से शून्य था, ऐसा नहीं है। अतीत में भी वे समस्याएं थीं और आज भी हैं। हो सकता है कि कभी वे दस प्रतिशत बढ़ गयी हों और कभी कम हो गयी हों। मनुष्य है, मन है तो मन की उलझनें भी अवश्यंभावी हैं। जब-जब मनुष्य ने मानसिक उलझनों का भार अनुभव किया, तब-तब उसने उनको सुलझाने का प्रयत्न भी किया है। मनोरंजन के जितने साधन हैं, वे सब मानसिक समस्याओं के संवेदन को कम करने के साधन हैं, मानसिक उलझनों को सुलझाने के साधन हैं। आदमी ताश खेलता है, शतरंज खेलता है, नाटक और सिनेमा देखता है, इनका एकमात्र प्रयोजन है मनोरंजन और मनोरंजन का प्रयोजन है मानसिक उलझनों को कम करना, संवेदनों को मंद करना।
मनोरंजन के साधन मादक द्रव्यों के सेवन जैसे हैं। सिर में दर्द हुआ, एनासीन की गोली ली, दर्द का अनुभव कम हो गया। किन्तु दर्द मिटा नहीं। केवल दर्द का संवेदन कम हो गया। हमारे संवेदन-केन्द्र जो दर्द को पकड़ते हैं, उनके साथ संबंध कट गया तब ऐसा लगा कि दर्द नहीं है। जैसे-जैसे मादक द्रव्यों का असर कम होता गया, वैसे-वैसे दर्द फिर बढ़ता गया।
मनोरंजन के जितने उपाय हैं, वे सब तात्कालिक हैं। बहुत लोग इन तात्कालिक उपायों में रस लेते हैं क्योंकि तात्कालिक उपाय एक भुलावा है। वह यथार्थ पर पर्दा डाल देता है, सचाई को ढक देता है। जब सचाई पर पर्दा आ जाता है तब आदमी मान लेता है कि काम हो गया। सिर का दर्द मिटता नहीं, दबता है, तो भी आदमी मान लेता है कि उससे पूरा छुटकारा मिल गया। मनोरंजन के सभी साधन मानसिक समस्याओं को समाप्त नहीं करते, उन पर आवरण डालते हैं। आदमी भुलावे में आकर सचाई को विस्मृत कर देता है। मनोविज्ञान : तनावमुक्ति के परिप्रेक्ष्य में ___ मनोवैज्ञानिक मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए बहुत प्रयत्नशील हैं। डॉ. जार्ज स्टीवन्सन और डॉ. टील ने एक पुस्तक लिखी है-'लाइफ, टेन्सन
एण्ड रिलेक्सेशन । उस पुस्तक में तनावमुक्ति के कुछ उपाय निर्दिष्ट हैं। उनका Jain Education International For Private & Personal Use Only
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