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आमख
प्रश्न हो सकता है कि आत्मानन्द के क्या साधन हैं ? साध्य की उपलब्धि साधन से होती है। आत्म-सुख साध्य है और उसके साधन हैं-अहिंसा, सत्य, सौहार्द, पवित्रता, अपरिग्रह आदि। अहिंसा सबकी रीढ है। अन्य सब उसी के सहारे पलते हैं। अहिंसा को समझे बिना साध्य भी समझा नहीं जा सकता। उसकी स्वीकृति के बिना साध्य का स्वीकार भी नहीं हो सकता। श्रद्धा, ज्ञान और आचार की समन्विति ही साध्य है।
साध्य की पूर्णता साधन के अभाव में नहीं हो सकती। इसलिए साधन का बोध और आचरण अपेक्षित है। सुख की प्राप्ति के लिए साधनों का अवलम्बन लेना आवश्यक है। इस अध्याय में अहिंसा का स्थूल और सूक्ष्म विवेचन है। दोनों पक्षों का बोध सिद्धि के लिए अपेक्षित है। अहिंसा के सिद्ध हो जाने पर समता की ऊमियां सर्वत्र उछलने लगती हैं।
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