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________________ ४१६ ऐहरीति नवहण महापूजा, ध्वज, अवारी, "...... - र र्णा संघवी गोब्यंद प्रशस्ति लिषावी, अंबरणीस्थाने राज श्री राजधर देवडा चुंडा, प्रासादनी अक्षर विधि ऐह प्रासाद नीपजतां षश्चा कोई करवा न लहिइ वरसा सु १०० कमठा हुइ प्राडु षश्चा करि ते राजधर निर्वहि देवडु सांडु, ठाकुर परभु, भाट से लहु, तपाइक परभु देवदाह्यदा को कांइ मागवा न लहि, मार्गि ते राजधर चुडु निर्वहि गोव्यंद करणानइ संमध नहीं, एह विधि सीलीया पलाविइ, देवडु डूंगरसी, देवडु सतु, ढु, विरसी, सघलाइ ववि वेटु, ठाकुर माहव, ऐतला शीलीया साषि व्यास सांडु ववि लीबु, ववि भीमा, देवडा सिंघा, साषि धज धजनी रीति आषी asy आषीनी रीति अधिली चडतु आधिलीनी रीति प्रादिनाथनी, दीवालीइनी, वरसाथी करस २४ घी, चोषा माणां २४ नीवेद भणी तेल करस दीवा भणी, आणइ प्रासादिआ || २ -- संवत् १४६७ वर्षे आषाढ सुदि रवौ श्री राजधर अप्रमूता चुण्डा महंना (ता) घेतसी संग सापि चूडाव ( ? ) ३ - ॐ नमः श्रीमाता श्री आदिनाथथि मूं ( ? ) द्राम ४२, कलसी ४ जव, नव सती क्षेत्रां भंजामणिरि आदिनाथः श्री माता कबू प्राश्रु ( ? ) टंकु मागई, देव कापड वि कलसी ४ जव मागइ, माणां २४ चोषा, करस २४ घृत नैवेद, कल्याणिकादि अमारी कातां २४ लहरम्य ( ? ) साध जव श्री देवि भागवक जीउइय मासेई वे आना लषर ( ? ) १ पछेडी १ संघवै माहाधज चडतांदि ॥ धज कूटनी पछेडी १ आदिनाथ, प्रद धज चडतो फल सइ, ५०० धूपडी एतरू धज चड केडि आदिनाथ दय वलीरुर ( ? ) १ कापड १ कल्याणिके ६४ पान, ६४ सोपारी, ऐतरू लहइ, कलस चडतर कलस लहइ, ऊतर्या चन्द्रआ चन्द्र लहइ, मास पूजइ फूल लहई, घी बीती रूकडी लहइ, सरविमाता आदिनाथ ऊपज देवि ६४ पू श्री आदिनाथ पीतलहरि माणा ७६ चोषा, करस ७६ घृत एतरू नैवेद कल्याणि दि० धज चडतां पछेडी १ संघवै रेसम १ चोषा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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