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________________ ३८३ २०-बाइ देवइ तथा रतनिणि तथा झणकू तथा वडग्राम वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय व्यव० गुणचन्द्र भार्या लींबिणि, मांट वास्तव्य व्यव० जयता, आंबवीर, वीयइपाल । दूती वीरा, साजण भार्या जालू | दुती सरसइ श्री वडगच्छे श्रीचकेश्वरसूरि संतानीय त्रा ( श्रा) वक साजणेन कारिता ॥ दे० (१६) २१ - - संवत् १२८७ चैत्र वदि ३ प्राग्वाट ज्ञातीय श्री चंडप श्रचण्डपसाज (प्रसाद), श्री सोमान्वये, ठ० श्रीआसराजसुत महं० श्री तेजपालेन श्री अबुर्दाचले कारितश्रीलूणसी हवसहिकायां श्री नेमिनाथ देवचैत्ये धवलक्ककवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय ठ० थीर चंद्रांगज महं० रतनसीह सुत दोसिक ठ० पदमसीहेन स्वकीयपितुः महं० नेनांगज महं० वीजा सुता कुमरदेव्याश्च श्रेयोऽर्थं देवश्री संभवनाथ सहिता देवकुलिका कारिता० शिवमस्तु ॥छ || २२--श्री संडेरकगच्छे, संवत् १७२८ वर्षे वैशाख सुदि ११ दिने उपाध्याय श्रीजिन सुंदरजी तत् शिष्य रतनसी किसना 'यात्रा' सफला कृता । २३ - - संवत् १७२८ वर्षे वैशाखसुदि ११ दिने मडाहडगच्छे पंडित चतुरजीरी यात्रा सफल वास जावरः ॥ दे० (१७) २४--संवत् १२६० वर्षे प्राग्वाट वंशीय महं० श्री सोमान्वये महं तेजपाल सुत लूणसीहभार्या रयणादेवि श्रेयोऽर्थं महं० श्री तेजपालेन देवकुलिका कारिता ||छ || शुभं भवतु ॥ दे० (१८) २५ - संवत् १२६० वर्षे महं० श्रीसोमान्वये महं श्री तेजपाल सुत महं० श्री लूसीह भार्या महं० श्री लषमादेवि श्रेयोऽर्थ महं० श्री तेजपालेन देवकुलिका कारिता ॥ ४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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