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________________ आयणप्रभृति स्वाविचंद्र, आसधर, आताने पलाब्दं (या स्थानीय ८६--सं० ११८७ फागुण वदि ४ सोमे भद्रसिणवाडा स्थानीय प्राग्वाट वंसाशान्वये श्रे० साहिल संताने पलाब्दं (दू) दा श्रे० पासल, संतणाग, देवचंद्र, आसधर, आंबा, अंबकुमार, श्री कुमार, लोयणप्रभृति श्वासिणी शांती यशमति गुणसिरि प्रभृति श्रावकश्राविकासमुदायेन अर्बुद चैत्य तीर्थे श्री ऋषभदेवबिंबं निःश्रेयसे कारितं । वृहद्गच्छान्वयश्री संविग्न विहारि श्री वर्द्धमान सूरिपादपद्मोप...... .. (जीवि) श्री चक्र श्वरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ मंगलं महाश्रीः ॥ देहरी (३३) ८७–सं० १२४५ वैशाख वदि ५ गुरौ श्री अनंतनाथः । प्राग्वाट ज्ञातीय भां० जसधवल भार्या लक्ष्मी ।। ८८--सं० १३७८ उछत्रवाल सामंतपुत्र लाहड, भार्या लखमी, पुत्र पूनिया, कुसलिया, लाखण, झांझण, हरदेव, तेजाकैः पितृमातृ श्रे० कारितं प्रतिष्ठितं श्री धर्मसूरि पट्टे श्री ज्ञानचन्द्रसूरिभिः ॥ सा० धसिंह भार्या सा० धांधलदेवि पुत्र श्रेय० सा० वीजडेन कारितं ॥ ८६--संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ, श्रीयशोदेवसूरिशिष्यः श्री देवचन्द्रसूरिभिः श्री अणंतनाथप्रतिमा प्रतिष्ठिता ॥ पाऊ (क) वाट ज्ञातीय भां० जसधवल, भार्या लक्ष्मी आत्म श्रेया(योऽ) र्थं देव श्री अणंतनाथप्रतिमा कारिता ॥ ६०--सं० १३९४सा........."पुत्र कुलचंद्र..."पुत्र झांझण (?) माला(?) भ्यां श्रीकुंथुनाथः का० प्र० श्री ज्ञानचन्द्रसूरिभिः ।। देहरी (३४) ६१-सं० १२४५ वैशाखवदि ५ गुरौ श्री प्राग्वाटवंशीययशोधवल सुत भां। शालिगेन देवश्री अरनाथबिंबस्य स्वश्रेय से प्रतिष्ठा कारिता ॥ श्री अर्बुदतीर्थे सकलाभ्युदयकारी भवतु अरनाथः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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