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१४वें निबन्ध में :
उपाध्याय श्री मेघविजयजी । १५ वें निबन्ध में 1
ग्रन्थकर्ता उपाध्याय मानविजयजी ।
१७ वें निबन्ध में :
महानिशीथ ।
संबोध - प्रकरण |
श्रीशत्रुञ्जयमाहात्म्य । व्यवहार - चूलिका |
वंगचूलिया ।
श्रागमष्टोत्तरी ।
प्रश्नव्याकरण ।
गच्छाचार पइन्नय ।
विवाहचूलिया ।
धर्म - परीक्षा ।
प्रश्न-पद्धति ।
पूजा-प्रकीर्णक ( पूजा पइन्नय ) । वन्दन - प्रकीर्णक ( वन्दन पन्नय) |
जिनप्रतिमाधिकार २ ।
१६ वें निबन्ध में :
सूत्रों के नये नाम |
अन्तःशीर्षक तथा अन्तर्वचन |
संशोधन ।
अजित शांतिस्तव में किये गये परिवर्तन | शुद्धिपत्रक प्रबोध टीकावाले प्रतिक्रमण का । शुद्धिविवरण और शुद्धिविचारणा । मूलसूत्रों में अन्तःशीर्षक तथा गुरुप्रतिवचन | परिशिष्ट १ श्रावश्यक क्रिया के सूत्रों में अशुद्धियां ।
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