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त्रिस्तुतिक- मत-मीमांसा |
शलाका जीर्णोद्धार नवीन मंदिर उपदेश दे कर श्रीविजयराजेंद्रसूरिजी ने करवाये "
लेखकजी जिन जिन गांवों के नाम लेकर तुम राजेंद्रसूरिजी int बहादुरी के गीत गा रहे हो वे सब गांव हमारे देखे हुए हैं, जिस ने इन गांवों को देखा होगा कोई भी ऐसा नहीं कहेगा कि राजेन्द्रसूरिजी ने यह काम जिनभक्ति के निमित्त किया है। कोरटे में करीब दो हजार वर्ष की पुरानी श्रीमहावीर प्रभु की प्रतिमा को उठवा कर नीचे जमीन पर रखवाई और इस के स्थान पर अपने नाम के लंबे चौड़े लेखवाली नयी मूर्ति स्थापित की । क्या इसे भी कोई जिनभक्ति कह सकता है ? |
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शिवगंज में ४-५ पुराने मंदिरों के होने पर भी अपना नाम रखने के लिये कीर्ति के अभिलाषी गृहस्थों को उपदेश देकर नया मंदिर बनवाया, क्या इस का नाम भी भक्ति है ? ।
जालोर में प्रतिष्ठित प्रतिमा का लेख मुसलमान शिलावट के पास सिवा के बढी भारी आशातना की क्या इस को भी भक्ति कहना ! | ?
सिरोही राज्य के गांव जावाल में दो बड़े मंदिरों के होने पर भी अपना पक्ष और कीर्ति बढ़ाने की इच्छा से नया मंदिर करवाया, क्या यह भी भक्ति का स्थान समझना ? |
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ऐसे ही ' आहोर, '' गुडा, ' ' हरजी, 'मंडवारिया ' विगैरह कई गांवो में पुराने दो दो चार चार मंदिर विद्यमान थे तो भी राजेन्द्रसूरिजी और उन के साधुओंने लाखों रुपया खर्च कराके नये मंदिरों की भरमार करवा दी, और अब भी करवा रहे हैं, क्या इस में भक्ति के नाम से आशातना नहीं है ? |
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