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फल, बिम्बिफलादि, परूसक, हस्त प्रताक, शाकमुष्टि, मूली और निम्बमुष्टि भिक्षाचर्या में फिरते भिक्षु को मैंने दिया। ___खट्टी काञ्ची, दोणि निमुज्जन, कमरबन्ध, अंसवर्तक, अयोग पट्ट, विभूपन, पंखा, मोरपिच्छ, छत्र, जूता, पूप, लड्डु, शाकलि, ......"इन चीजों के दान से देव विमान की प्राप्ति बताई गई है।
विमानवत्थु के उक्त उद्धरणों में कई ऐसे खाद्य पदार्थों को भिक्षुदेय बताया है, जो शायद बुद्ध के समय में वे ग्राह्य नहीं थे। जैसे कि गन्ना, तिम्बरू, ककड़ी, चीभड़ा, शाकमुष्टि, मूली आदि ।
इसी प्रकार अयोगपट्ठ, तालवृन्त, मोरहस्तक, छत्र, जूता, आदि उपकरण प्रारम्भ में बौद्ध भिक्षु के उपकरणों में परिगणित नहीं थे, जो बाद में ग्रहण किये गये । यही नहीं किन्तु उनके दान का फल स्वर्ग विमान की प्राप्ति बताया गया ।
अहं अन्धक विन्दस्मि बुद्ध मादिच्च बन्धुनो। अदानि कोल संपा, कञ्जिकं तेल धृपितं ॥५॥ पिप्पल्या लसुणेन च, मिस्सं लाभञ्जकेन च । अदासिं उजुभूतस्मि, विपसन्नेन चेतसा ॥६॥
( विमान वत्थु पृ० ३८) इन्दीवरानं हत्थकं अहमदामि भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स । एसिकानं उगणतस्मि नगरे बरे पेएणकते रम्मे ॥१२॥ अोदातमूलकं हरीतपनं उदकम्हि सरे जातमहमदासि । भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स एसिकानं नगरे वरे पेएणकते रम्मे ॥१६॥
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