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________________ निधानवादी, निधानवती समयानुसार सापेक्ष परिणाम वाली और अर्थवाली भाषा को बोलने वाला होता है । बौद्धभिक्षु के पालनीय नियम __बौद्धधर्म की प्रत्रया लेने के बाद भिक्षुओं को क्या क्या नियम पालन करने चाहिये और किन किन पदार्थों का उनको त्याग करना चाहिए इस सम्बन्ध में मझिम निकाय के चूलहत्थिपदोपम सुत्त में निम्नलिखित वर्णन मिलता है। ___"सो बीजगाम भूतगाम समारम्भा पटिविरतो होति । एकभत्तिको रत्त परतो, विरतो विकाल भोजना। नम गीतवादित विस्सूकदसना पटिविरतो होति । मालागन्धविलेपन धारण मण्डन विभूसनहाना......। उच्चासयन महासयना........."। जातरूपरजत पटिगाहणा...."। आमकधञ्जपटिग्गहणा....."। हथिकुमारिक पटिगहणा। दासीदास पटिग्गहणा"! अजेलक पटिग्गहणा"कुक्कट सूकर पटिग्गहणा! हस्थिगवास्सवलवा पटिग्गहणा""। खेतवत्थूपटिम्गहणा"। दूतेय्यपहिणगमनानुयोगा। कय विक्कया। तूलाकूट कंसकूट मानकूटा...........। उकोटन वञ्चन निकति साचियोगा।छेदन वध वन्धनविपरामोस आलोप सहसाकारा पदिविरतो होति । "मज्झिम निकाय" पृ. ८८ अर्थ-वह बीजग्राम ( सर्वजात के वीज) और भूतग्राम (सर्व प्राणिसमूह के समारम्भ-हिंसा) से निवृत्त है । वह एक बार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003119
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1961
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size19 MB
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