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लेगा, तीसरी परिपाटी के पारणा में खजूर द्राक्षा आदि मेवा भी त्याग करेगा और चौथी परिपाटी में केवल नीरस और रूक्ष आहार से पारणा करेगा ।
कनकावली
कनकावली तप की परिपाटी भी रत्नावली की जैसी है । भेद मात्र इतना ही है कि रत्नावली में दो स्थान पर आठ आठ षष्ठ भक्तं प्रत्याख्यान आते हैं, वहां कनकावली में अष्टम भक्त प्रत्याख्यान किया जाता है । ऐसे ही रत्नावली के चौंतीस षष्ठ भक्तों के स्थान पर कनकावली में चौतीस अष्टम भक्त किये जाते हैं। शेष रत्नावली के दोनों भागों में एक एक की वृद्धि से सोलह पर्यन्त के तपों की परिपाटी कनकावली में भी समझ लेनी चाहिए । इस प्रकार रत्नावली की एक परिपाटी के दिनों से कनकावली में पचास दिन बढ़ते हैं । ऐसे चारों परिपाटियों में पचास पचास दिन बढ़ाने से कनकावली तप पांच वर्ष नत्रमास अठारह दिन में पूरा होगा। पारणों के विषय में रत्नावली ही की तरह कनकावली में क्रमशः इच्छित १, नर्विकृतिक २, अलेव कृत द्रव्य ३, और आविल ४, से पारणे किये जाते हैं ।
मुक्तावली तप
मुक्तावली तप में एक उपवास - पारणा, दो उपवास - पारणा फिर एक उपवास - पारणा, तीन उपवास - पारणा, एक उपवासपारणा, चार उपवास - पारणा, एक उपवास - पारणा, पांच उपवास
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