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( २३६ ) बार वईय सुरट्ठा, विदेह मिहिलाय वच्छ कोसंबी । नंदिपुरं संडिल्ला, भद्धिल पुरमेव मलयाय ।। वेराढ़ मच्छवरणा, अच्छा तह मत्तिया वह दसन्ना। सुत्ती वईये चेदी, वीय भयं सिन्धु सौवीरा ।। महुराय सूरसेणा, पावा भंगीय मास पुरिवठ्ठा ।
सावत्थीय कणाला, कोड़ी परिसं च लाढाय ।। सेय विया विय नगरी, केगइ अद्धं च आरियं भणियं । जत्थु पत्ति जिणाणं, चकीणं रामकण्हाणं ।। ३२६३ ।।
(भागे ३, प्र० उद्धे० प०-६१३) अर्थ-इन गाथाओं के आधार से आर्य देशों तथा उनकी राजधानियों के नामों की सूची मात्र देते हैं ।
मगध-राजगृह अङ्ग-चम्पा, वङ्ग-ताम्र लिप्ति, कलिङ्ग-काञ्चनपुर, काशी-वाराणसी, कोशल-साकेत, कुरु-गजपुर, कुशातसौर्यपुर, पाञ्चाल-काम्पिल्प, जाङ्गल-अहिछत्रा, सौराष्ट्र-द्वारवती विदेह-मिथिला, वत्स-कौशाम्बी, शाण्डिल्य-नन्दिपुर, मलयभहिलपुर, मत्स्य-वैराट, अच्छ-वरणा, दशार्ण-मृत्तिकावती, चेदी-शुक्तिमती, सिन्धु सौवीर-वीनभय, शूरसेन-मथुरा, भंगी-- पावा, वट्ट-मासपुरी, कुणाल-श्रावस्ती, लाट-कोटिवर्ष, कैकयार्द्धश्वेतविका। ___ उपर्युक्त पचीस देश पूरे और आधा कैकय देश आर्य क्षेत्र कहा गया है, जहां पर जिनों, चक्रवत्तियों, बलदेवों और घासुदेवों का जन्म होता है।
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