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बताकर निमन्त्रण करता है कि इसमें से कुल लीजिये, इसका निमन्त्रणा समाचारी कहते हैं।
१०-"उपसंपया" ( उपसंपदा ) उपसम्पदा अनेक प्रकार की होती है, ज्ञानोपसम्पदा, दर्शनोपसम्पदा, चारित्रोपसम्पदा, मार्गोपसम्पदा । ज्ञान विशेष पढ़ने के निमित्त दर्शन प्रभावक शास्त्रों के पढने के निमित्त, चारित्र्य (विशेष शुद्ध चारित्र पालने किसी किसी तपस्वी की सेवा करने
आदि के) निमित्त, और लम्बे बिहार के निमित्त इनके जानने वालों के आश्रय में रहना इसका नाम उपसम्पदा सामाचारी है।
जैन श्रमणों का बिहार क्षेत्र जैन सूत्रों के निर्माण काल में नीचे लिखे देशों की भूमि 'आर्य क्षेत्र माना जाता था, और जैन श्रमण श्रमणियों को उसी प्रार्यक्षेत्र में बिहार करने की आज्ञा थी। इन देशों के बाहर के चारों तरफ की भूमि को जैनशास्त्रों में अनार्य भूमि माना है, और वहां जैन श्रमणों का विहार निषिद्ध किया है । कल्प में आर्य देशों तथा उनकी राजधानियों का सूचन करने वाली निम्नलिखित गाधायें उपलब्ध होती हैं।
रायगिह मगहचम्पा, अंगा तह तामलिति वंगाय । कंचणपुरं कलिंगा, वाराणसि चेच कासीये ॥ साकेत कोसला गय, पुरं च कुरु सोरियं कुसट्टाय । कंप्पिलं पंचाला, अहिछत्ता जंगला चेव ॥
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