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( १३६ ) अाम्रादि फलों में मांस मज्जा अस्थि आदि माने जाते थे, इसके अनेक प्रमाण उपलब्ध होते हैं। खजूर के गूदे को मांस बताने वाला चरकसंहिता का पाठोल्लेख मांस शब्द के नीचे पाद टोका में दिया जा चुका है । उसी प्रकार का बल्कि उससे भी विशद उल्लेख सुश्रुत संहिता में मिलता है जो नीचे दिया जाता है:
"चूतफले परिपक्वे केशरमांसास्थिमजानः पृथक् पृथक् दृश्यन्ते कालप्रकर्षात् । तान्येव तरुणे नोपलभ्यन्ते सूक्ष्मत्वात् । तेषां सूक्ष्माण्णां केशरादीनां कालः प्रव्यक्ततां करोति ।
( सुश्रुत संहिता शा० अ. ३ श्लो० ३२) अर्थ-पके आमफल में केशर, अस्थि, मांस, अस्थिमज्जा प्रत्यक्ष रूप में दीखते हैं । परन्तु कच्चे आम्र में ये अङ्ग सूक्ष्म अवस्था में होने के कारण भिन्न भिन्न नहीं दीखते, उन सूक्ष्म केशरादि को समय व्यक्त रूप देता है। ____ जैसे प्राणधारियों में आंत होती है, वैसे फलों में भी आंतें मानी गई हैं। जिनके द्वारा फल स्थित बीजों के शरीर मांस मज्जाओं को रस पहुँचता है उन रेशों को वैद्य लोग अन्त्र कहते हैं। जैसे
समुत्सृज्य ततो बीजान् अन्त्राणि तु समुत्सृजेत् । तानि प्रक्षाल्य तोयेन, प्रवण्यां निक्षिपेत् पुनः ।।
( पाक दर्पण पृ० २५)
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