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गठिया या जलोदर श्रादि लीवर एवं किडनी से सम्बन्ध रखने वाले दर्दो का मुख्य कारण युरिक एसीड गिना जाता है ।
और वह युरिक एसीड मांस की खुराक में अधिक प्रमाण में होने से मांसाहारियों में यह दर्द खास दृष्टि-गोचर होता है। ___ डा० बोन नुर डन लिखते हैं कि मांस सदृश नाइट्रोजन वाले पदार्थों से लीवर किडनी और ऐसे ही दूसरे भागों को अधिक बोझ होता है और इस से सन्धिवात और लीवर तथा किडनी सम्बन्धी अन्यान्य दर्द उत्पन्न होते हैं।
डा० पार्कर सब लिखते हैं मांस खाने से गाइड, सन्धिवात, और किडनी के दर्द उत्पन्न होते हैं । ___ डा० सेवेजे ने स्पष्ट रूप से जाहिर किया है कि पागलपन की बीमारी मांस भक्षी लोगों में ही विशेष पाई जाती है ।
डा. ज्योर्ज कीथ के मतानुसार मांस की खुराक का मद्य के माथ घनिष्ट सम्बन्ध है और खास करके युवान लोगों में यह इच्छा विशेष रूप से होती है।
वनस्पत्याहार के पक्ष में तथा मांसाहार के विपक्ष में अनेक अनुभवी डाक्टरों और वैज्ञानिकों के मतों का सारांश उद्घ त करने के बाद अब हम वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किये गये भोज्य पदार्थों में रहे हुए तत्त्वों को प्रदर्शित करने वाले दो एक कोष्ठक देकर इस प्रकरण को समाप्त करेंगे।
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