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पुस्तकों का ऐतिहासिक क्रम
विषय वर्गीकरण में हम लेखों या प्रवचनों को ऐतिहासिक क्रम से नहीं दे सके, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि आचार्यश्री के सभी प्रवचनों एवं निबंधों में दिनांक का उल्लेख नहीं मिलता है। यहां हम कालक्रमानुसार पुस्तकों की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे शोध - विद्यार्थी किसी भी विषय पर ऐतिहासिक क्रम से उनके विचारों का अध्ययन कर सके । समय के अनुसार हर व्यक्ति का चिंतन बदलता है । आचार्य तुलसी जैसे युगद्रष्टा और प्रखर चिंतक ने समय के अनुसार अपने चिंतन को ही नहीं, जीवन को भी बदला है ।
यहां हमने पुस्तकों का ऐतिहासिक क्रम केवल प्रकाशन - समय के आधार पर निश्चित नहीं किया है क्योंकि अनेक प्रवचनों की पुस्तकों में प्रवचन बहुत पुराने हैं पर प्रकाशन बहुत बाद में हुआ है । अतः जिन पुस्तकों में प्रवचनों की दिनांक आदि का उल्लेख है, वहां हमने उसी के आधार पर समय-निर्धारण किया है। जहां केवल निबंधों की पुस्तकें हैं, जिनमें समय का उल्लेख नहीं है उनको प्रकाशन के प्रथम संस्करण के आधार पर रखा है । योगक्षेम वर्ष के प्रवचनों की छह पुस्तकों में यद्यपि दिनांक आदि का उल्लेख नहीं है किंतु योगक्षेम वर्ष से सम्बन्धित होने के कारण उनको १९८९ वर्ष के अन्तर्गत रखा है ।
यद्यपि यह सूची पूर्ण नहीं कही जा सकती क्योंकि किसीकिसी पुस्तक में अनेक वर्षों के प्रवचन संकलित हैं । जैसे- 'शांति के पथ पर', 'खोए सो पाए। इसके अतिरिक्त कहीं कहीं कुछ निबंध जो बहुत पहले की पुस्तक में आए हैं, वे ही बाद की प्रकाशित पुस्तक में समाविष्ट हैं । जैसे 'धर्म : एक कसौटी, एक रेखा' जो सन् १९६९ में प्रकाशित हुई थी । उसके अनेक लेख 'अतीत का विसर्जन : अनागत का स्वागत' में है । फिर भी स्थूल रूप से पाठक आचार्य तुलसी के विचारों की यात्रा ऐतिहासिक क्रम से कर सकेंगे, ऐसा विश्वास है ।
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