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________________ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण १२९ १९५० १५ अग० १७१ ७ सित० १७० १६४ २४ सित० १९५१ २६ जन० १३५ ९४ १९७३ १४ दिस० हाकरखेड़ा ४२,१५७ १९५५ २५ मई हिसार ११५ १९७३ ३० सित० ७ अक्टू० १७५ ___१६६ १२ अक्टू० १० मई सोजतरोड १९५४ ६ मार्च सोनीपत १९७९ १३ अप्रैल हनुमानगढ़ १९६६ २० मार्च हमीरगढ़ १९५६ २६ जन० हांसी १९४९ १३ सित० १८२ २५ आचार्य तुलसी प्रखर प्रवक्ता हैं। उन्होंने अपने ६० साल के जीवन में केवल धर्मसभाओं को ही संबोधित नहीं किया, अनेक सामाजिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक सभाओं को भी उन्होंने अपनी अमृतवाणी से लाभान्वित किया है। डाक्टर, वकील, सांसद, इंजीनियर, पुलिस, पत्रकार, साहित्यकार, व्यापारी, शिक्षक, मजदूर आदि अनेक गोष्ठियों एवं वर्गों को उन्होंने प्रतिबोधित किया है। यदि उन सबका इतिहास सुरक्षित रखा जाता तो यह विश्व का प्रथम आश्चर्य होता कि किसी धर्मनेता ने समाज के इतने वर्गों को उद्बोधित किया हो। जितनी जानकारी मिली. उतने विशिष्ट प्रवचनों की सूचि यहां प्रस्तुत है। वैसे तो उनका हर प्रवचन विशेष प्रेरणा से ओतप्रोत होता है पर विशेष अवसर से जुड़ने पर उसका महत्त्व और ऐतिहासिकता बढ़ जाती है अतः विशेष अवसरों एवं स्थानों पर दिए गए प्रवचनों का संकेत इस परिशिष्ट में दिया जा रहा है। इसमें जन्मोत्सव और पट्टोत्सव के संकेत आचार्य तुलसी के जन्मदिन एवं अभिषेक दिन से संबंधित हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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