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________________ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण भौतिकता केवल स्वार्थमूलक है १६ जन० ८४ भारहीनता का रहस्य १ जुलाई ७३ मद्यपान का अहिंसात्मक प्रतिकार १६ जून ७२ मन और आत्मा शांति का प्रतिष्ठान है १ अप्रैल ६७ मन का पहरेदार १५ नव० ५७ मन, वाणी और इन्द्रियों पर अनुशासन करो जन० १ अग० ४९ मनुष्य ने अलक्ष्य को लक्ष्य के आसन पर बिठा दिया है १ मई ५६ मनुष्य स्वयं अपने विकास और ह्रास के लिये उत्तरदायी है १ अप्रैल ५९. मांगना : हीनता का द्योतक १ जुलाई ५८ मानव जीवन और धर्म जन० १ जून ४९ मानवता का त्राण १ अप्रैल ५९ मानवता का प्रतीक : अणुव्रत १ अप्रैल ७३ मानवता का यह पतन देखकर दिल में दर्द होता है, ठेस पहुंचती है। १ जुलाई ५७ मुक्ति की विशाल कल्पना १ सित० ५८ मूल बात है जीवन का रूपान्तरण १ मई ८१ मूढ़ अज्ञ से भी बुरा है १ जून ५९ मृत्यु दण्ड तथा सजा से अपराधों की कमी नहीं होती १ जून ६५ मेरे तीन जीवन लक्ष्य १६ अक्टू० ७३ मैं क्या देखना चाहता हूं? १५ सित० ५६ मैंने कभी व्यक्तिगत जीवन जीया ही नहीं १ दिस०७४ मैत्री संदेश १ अक्टू० ५९ मोक्ष-मार्ग की पगडंडियां जन० १ सित० ४९ यह आदर्श की बातें ! १ अक्टू० ५९ यह कैसी उपासना ! १ अक्टू० ५९ यह भी तो सम्भव है १ जन० ५८ युद्ध और आध्यात्मिक मूल्य १६ दिस०७१ युद्ध की पागल मनोवृत्ति मनुष्य को जन्मान्ध बनाये रखती है १ अग० ५७ युद्ध को भड़काने वाली परिस्थितियां सदा के लिये मिटें १ अक्टू० ६५ युवक नींव के पत्थर बनें १ जून ६६ युवापीढ़ी का आक्रोश क्यों ? १६ अक्टू० ७० ये जहरीली सपिणियां १ जून ५७ योग : जीवन परिवर्तन का उपाय १ मार्च ८२ योजनाबद्ध उपक्रम १ मार्च ५९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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