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________________ परिशिष्ट २ मांगने नहीं देने आये } मांस अभक्ष्य है मांस खाना राक्षसी वृत्ति है मांसाहार मनुष्य का स्वाभाविक भोजन नहीं है मानव मानव की घोर पराजय मानव-जीवन और धर्म मानव-जीवन के मौलिक गुण मानवता का अवमूल्यन' मानवता का इतिहास और उसका त्राण मानवता का पाठ मानवता का विकास हो मानवता का संदेश मानवता की सर्वोच्च प्रतिष्ठा हो मानवता की सुरक्षा के लिए सक्रिय बनें मानवता के उत्थान के लिए अणुव्रत मानव विकास मानवीय तनाव कैसे कम हो ? मानसिक एकाग्रता और धर्म मार्ग मार्दव का महत्त्व मुक्त कौन होता है ? मुक्ति का अधिकार सबको है मुक्ति का मार्ग : सहिष्णुता मुक्ति के लिए मुझसे बुरा न कोय मूल आधार - अध्यात्म मृत्यु : एक महत्त्वपूर्ण कला मेरा कार्यं मनुष्य को संस्कारी बनाना मेरा धर्म : मानव धर्म १. ५-१० - ६७ अहमदाबाद । २. १०-८-६९ । Jain Education International ३१३ १२ अप्रैल ७० १६ मार्च ६९ For Private & Personal Use Only १० अग० ६९ ३ जुलाई ६६ ३० जून ५७ १ जून ५८ जून ४९ २५ मई ५८ १७ अग० ६९ १७ सित० ७२ २२ फर० ७० २७ जुलाई ६९ ११ मई ६९ २५ अप्रैल ६५ २५ अग० ६८ १६ नव० ६९ वि० सित० ४७ ७ अग० ६६ १२ एवं १९ सित० ७१ जुलाई-अग० ४९ १५ फर० ७० ३० नव० ६९ मई ६९ ३१ मई ५९ २४ जून ६३ २८ दिस० ६९ सित० ६९ २६ जुलाई ७० ११ नव० ६३ २२ अप्रैल ७३ ३. २५-७-७० रायपुर । ४. २-९-६७ अहमदाबाद । www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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