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________________ ३०५ परिशिष्ट २ देश, काल, भाव के अनुसार परिवर्तन' देश, धर्म और धर्माचार्य दो धारा' धन बनाम संयम धर्म : अनुभूति का तत्त्व धर्म अफीम नहीं, संजीवनी है धर्म आत्म-वृत्तियों को सुधारने में है धर्म आत्मशुद्धि में है धर्म-आराधना का पर्व धर्म उत्कृष्ट मंगल है धर्म : एक वस्तु चिंतन धर्म एक है धर्म और अनुशासन धर्म और उसका प्रभाव धर्म और कर्तव्य धर्म और जीवन धर्म और जीवन-निर्माण धर्म और धार्मिक धर्म और मनोविज्ञान धर्म और राजनीति धर्म और राष्ट्र-निर्माण धर्म और राष्ट्रीयता धर्म और विकार धर्म और विज्ञान धर्म और व्यवस्था का योग धर्म और समाज धर्म और समाज-विकास धर्म और सम्प्रदाय धर्म का अनुशासन धर्म का उत्स : पवित्रता २३ नव० ६९ १३ अक्टू० ६८ ६ मार्च ६० ५ मई ६८/२९ मई ६६ ३ नव०६८ १४ सित० ५८ ११ मई ५८ वि० १९ जून ५२ २२ अग० ६५ १३ दिस० ६४ ६ अग०६७ २७ अप्रैल ६९ १५ अप्रैल ७९ वि० मई ४७ वि० दिस० ४७ . १ सित० ५७ वि० १ मई ५२ २९ जुलाई ७३ २९ मार्च ७० १६ अग० ७. ९ दिस० ७३ __ अग० ७० वि० जून ४७ १७ मई ५९ १० सित० ६७ २० दिस० ५९ ९ मार्च ६९ १९ दिस० ८२ ५ नव० ७२ १० अक्टू० ७१ १. ६-११-६९ बैंगलोर । २. त्रिवेणी संगम पर प्रदत्त । ३. ५-७-६८ मद्रास । ४. २७-७-६७ अहमदाबाद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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