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________________ २६३ लघुता समता/उद्बो १६९/१७१ परिशिष्ट १ लघुता से प्रभुता मिले लम्बा यात्रा पथ लाटरी योजना का सुदूरगामी परिणाम : देश का चारित्रिक आर्थिक दारिद्र्य । लाभ और अलाभ में संतुलन हो लालबहादुर शास्त्री लेखक की आस्था लेश्या और रंगों का संबंध लेश्या के वर्गीकरण का आधार लोक-अलोक की मीमांसा लोकजीवन, अध्यात्म और अणुव्रत लोकजीवन अहिंसा की प्रयोगशाला बने लोकजीवन और मूल्यों का आलोक लोकतंत्र और अणुव्रत १४४ अणु संदर्भ प्रज्ञापर्व ६८ धर्म एक बूंद-बूंद २ जब जागे प्रेक्षा १५३ प्रवचन ४ आलोक में भोर बैसाखियां १२१ जीवन उद्बो/समता १३१/१३० अतीत का/धर्म एक १०५/२७ मेरा धर्म सफर/अमृत ९७/४७ मंजिल १ २१५ जीवन ४३ वि वीथी/राज १७/३४ मेरा धर्म प्रज्ञापर्व प्रवचन ८ लघुता लोकतंत्र और अहिंसा लोकतंत्र और चुनाव लोकतंत्र और नैतिकता २७ लोकतंत्र का प्रशिक्षण आवश्यक लोकतन्त्र की बुनियाद : महावीर का दर्शन लोकतन्त्र के आधार स्तंभ लोकतन्त्र को सच्ची राह दिखायें लोकंस्थिति : एक विश्लेषण लोभ का सागर : संतोष का सेतु ३१ १७१ वनस्पति का वर्गीकरण वनस्पति की उपेक्षा : अपने सुख की उपेक्षा वर्तमान की अपेक्षा वर्तमान के वातायन से वर्तमान तनाव और आध्यात्मिकता वर्तमान में जीना वर्तमान युग भऔर जैन धर्म अतीत लघुता आलोक में वि वीथी/राज क्या धर्म राज/वि वीथी शांति के ११५/१९६ ४२ १६३/१०३ ४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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