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________________ २६० युवक नयी दिशाएं खोलें युवक पुरुषार्थं का प्रतीक बने युवक यंत्र नहीं, स्वतंत्र बनें युवक शक्ति युवक शक्ति का प्रतीक युवक संस्कारी बने युवक समाज और अणुव्रत युवकों का दायित्व बोध युवकों का दिशाबोध युवकों का सर्व सुरक्षित मंच युवकों की जीवन दिशा युवकों से युवाचार्य महाप्रज्ञ: मेरी दृष्टि में युवापीढ़ी और उसका कर्त्तव्य युवापीढ़ी और मूल्यबोध युवापीढ़ी और संस्कार युवापीढ़ी का उत्तरदायित्व युवापीढ़ी का दायित्व युवापीढ़ी कितनी सक्षम ? युवापीढ़ी की मंजिल क्या ? युवापीढ़ी की सार्थकता युवापीढ़ी निराश क्यों ? युवापीढ़ी : वरदान या अभिशाप युवापीढ़ी से तीन अपेक्षाएं युवापीढ़ी स्वस्थ परम्पराएं कायम करें युवाशक्ति : समाज की आश योग और करण योग और भोग योग परिज्ञा योग्य दीक्षा योग्यताओं का मूल्यांकन हो योग्यता की कसौटी यौन उन्मुक्तता और ब्रह्मचर्यं साधना Jain Education International आ तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण अतीत का मंजिल २ दोनों धर्म एक ज्योति से ज्योति से प्रश्न ज्योति से ज्योति से प्रवचन ४ संभल प्रवचन ९ वि दीर्घा मंजिल २ दोनों बीती ताहि / दोनों दायित्व अतीत का ज्योति से / दोनों दोनों ज्योति से / दोनों ज्योति से दोनों ज्योति से ज्योति से ज्योति से विवीथी / मंजिल २ बूंद-बूंद २ जागो ! घर प्रज्ञापर्व कुहासे आलोक में For Private & Personal Use Only ९६. १९७ १७० ९१ 67 १६१ ५८ २५. ५९ १९३ ११५ १३०,१९५ ५५ ७५ ११३ ७९/१४७ ११ ५१ ५१/१२४ १७३ ४१/१३६ १९ १७८ १६९ १८३ १३ ८२/९६ ७३ ६३ १६७ ८३ २०५ ६५ www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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