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परिशिष्ट १
२५१
१९९
१७०
२२३
संभल आ. तु. समता भोर/संभल अतीत खोए मुक्तिपथ गृहस्थ प्रवचन ८ सोचो! ३ प्रेक्षा जब जागे जब जागे
१२२
११७ १७८-१७९ १९५-१९६
२४२
प्रेक्षा
भारतीय संस्कृति की एक पावन धारा भारतीय संस्कृति की एक विशाल धारा भारतीय संस्कृति की पहचान भारतीय संस्कृति के जीवन तत्त्व भारतीय संस्कृति में बुद्ध और महावीर भारहीनता का अनुभव भाव और आत्मा (१-२) भाव और आत्मा (१-२) भाव और उसके प्रकार भावक्रिया करें भावधारा और आभावलय की पहचान भावधारा की विशुद्धि से मिलने वाला सुख भावधारा से बनता है व्यक्तित्व भाव परिवर्तन का अभियान भावविशुद्धि में निमित्तों की भूमिका भावात्मक एकता भावात्मक एकता और स्वभाव-निर्माण भावी पीढ़ी का निर्माण भाषा नहीं, भावना भाषा है व्यक्तित्व का आईना भिक्षाचरी : एक विवेक भिक्षु कौन ? भीड़ में भी अकेला भीतरी वैभव भूख और नींद के विजेता : भगवान् महावीर भूल और प्रायश्चित्त भूले बिसरे जीवन-मूल्यों की तलाश भेद को समझे, भेद में उलझे नहीं भेद में अभेद की खोज भोग दुःख, योग सुख भोग से अध्यात्म की ओर भोग से त्याग की ओर भोगातीत चेतना का विकास
प्रेक्षा अनैतिकता/अमृत क्या धर्म बैसाखियां समता/उद्बो मनहंसा जागो ! घर खोए
१७१ १८५/६२
५७
१३७ १५५/१५७
१५७
१२
१४०
खोए
५८
६०
मुखड़ा मंजिल १ अनैतिकता मुखड़ा मुखड़ा प्रवचम ११ मंजिल २/मुक्ति इसी प्रवचन ५ लघुता
२३९ १५५
६४ १४३
१५८ २३/३९
१००
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